हर बच्चे के पास नहीं है स्मार्टफोन, धीमा चलता है नेटवर्क, छात्र और अभिभावक नई परेशानी से जूझ रहे हैं

नई दिल्ली

10वीं-12वी के छात्र तो अभी हैं सरकार के भरोसे, सीबीएसई के पास भी नहीं है कोई उपाय
केंद्र सरकार और मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के ऑनलाइन शिक्षा को लेकर कई दावे कर रहे हैं, लेकिन इन दावों का सच क्या है? सच यह है कि डिजिटल इंडिया के दौर में कोविड-19 संक्रमण के कारण लॉकडाउन ने हमारी तैयारी की कई स्तरों पर कलई खोल दी है।
केंद्रीय विद्यालय संगठन, देश के नामी पब्लिक स्कूल, दिल्ली सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार सब छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा देने के दावा कर रहे हैं, लेकिन देश के करोड़ों छात्र और उनके अभिभावक नई परेशानी से जूझ रहे हैं। दिल्ली के सरदार पटेल स्कूल में पढ़ रहे दोनों बच्चे उनकी मां मनीषा के लिए परेशानी का सबब बने हैं। बच्चे हर रोज टैबलेट, मोबाइल पर बैठ जाते हैं, लेकिन नेटवर्क है कि अकसर गच्चा दे जा रहा है।
टैबलेट, लैपटॉप, मोबाइल पर नहीं हो सकती पढ़ाई
केवीएस, प्रयागराज में टीजीटी मैथ, गिरिजा शंकर यादव कहते हैं कि आखिर क्लासरूम जीवंत पढ़ाई की कमी टैबलेट, मोबाइल, लैपटॉप पर कैसे पूरी हो सकती है। फिर घर पर शिक्षक के पास विभिन्न कक्षा के बच्चों के लिए पढ़ाने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं होती। नेटवर्क नहीं चलता, चलता है तो धीमा चलता है, जूम से कनेक्ट नहीं हो पाए तो दूसरी आफत।

बच्चों से जूम आदि के जरिए न तो कनेक्ट हुआ जाता है और न ही वे सवाल पूछ पा रहे हैं। पीजीटी योगेश नारायण के पास बच्चों के काफी फोन आते हैं। छात्र परेशान हैं और योगेश नारायण असहाय। कारण कि योगेश बेसिक फोन इस्तेमाल करते हैं। उनकी पत्नी के पास भी बेसिक फोन है और उन्हें स्मार्ट फोन बहुत समझ में नहीं आता। केंद्रीय विद्यालय के एक रीजनल आफिसर ने कहा कि जितना बन पड़ रहा है, करवा रहे हैं। इसकी पहले से तो तैयारी थी नहीं। इससे अच्छा इस समय कुछ नहीं हो सकता।

केवीएस के एक स्कूल में वाइस प्रिंसपल का कहना है कि समस्या यही नहीं है। दस फीसदी बच्चों के पास स्मार्टफोन ही नहीं है। 20-25 फीसदी बच्चों के अभिभावकों के पास फोन में डेटा नहीं है। कई की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। लॉकडाउन के कारण कई के पास ईयर फोन नहीं हैं।

फिर जिसके पास सबकुछ है, वह बच्चे भी परेशान हैं, क्योंकि न तो नेटवर्क ठीक मिल रहा है, न शिक्षक से कनेक्ट हो पा रहे हैं। पूनम रानी का बच्चा दिल्ली के अच्छे पब्लिक स्कूल में पढ़ता है। रोज तैयार होकर बैठ जाता है और कभी पढ़ पाता है, कभी क्लास मिस हो जाती है।
क्या हो रहा है ऑनलाइन पढ़ाई में
जिन छात्रों ने ग्लोबल शिक्षा, खान एकेडमी, मेरिट नेशन का कोर्स ले रखा है, वह कुछ पढ़ ले रहे हैं। कुछ नामी स्कूलों के बच्चों को मैथ, साइंस, इंग्लिश जैसे कुछ विषयों पर प्राथमिकता से साथ पढ़ाई शुरू हुई है। हालांकि माडर्न स्कूल के शिक्षक संजय पाठक बताते हैं कि जब तक ब्लैक बोर्ड और शिक्षक के पास शिक्षण सामग्री न हो, सामने छात्र न हो, गुणवत्ता की शिक्षा नहीं दी जा सकती। जूम में आप 40 या इससे अधिक विद्यार्थी भले जोड़ लें, शिक्षा का कोरम भी पूरा नहीं हो पाता।

एक ऑनलाइन एजुकेशन सेवा देने वाले संस्थान से अक्षित बताते हैं कि स्कूल के साथ-साथ ऑनलाइन शिक्षा ठीक रहती है। यह केवल कोचिंग या पूरक के तौर पर या अच्छे विद्यार्थियों के लिए है। वहीं पूनम रानी कहती हैं कि दिल्ली तो देश की राजधानी है, लेकिन इसके बावजूद सबके पास संसाधन नहीं है। नेटवर्क का इश्यू लगा रहता है। इसलिए बस केवल कोरम पूरा करके छात्रों का इंगेज रखा जा रहा है।

गिरजा शंकर यादव  का कहना है कि हम लोग बच्चों को व्हाट्सएप आदि पर प्रश्न आदि भेज दे रहे हैं। यू-ट्यूब पर पड़े शिक्षा के मैटीरियल भेज देते हैं। यहीं कर सकते हैं। स्कूल और क्लास की कमी पूरी नहीं कर सकते। फिर यह भी जरूरी है कि हर बच्चे के पास नई कक्षा की किताब हो। लॉकडाउन के कारण यह तो है नहीं। बस टाइम पास हो रहा है।
शिवानी, रितेश, वेद और तन्मय की सुनिए
लॉकडाउन ने इनकी चिंता बढ़ा दी है। शिवानी को 12वीं में बहुत अच्छे नंबर आने की उम्मीद है, लेकिन अभी प्रश्नपत्र ही पूरे नहीं हो पाए। फरवरी में दिल्ली के भजनपुरा इलाके में दंगा भड़क गया। अब जाने कब परीक्षा होगी, कब कॉपी जंचेगी, कब रिजल्ट आएगा और जाने कब आगे क्या होगा?

रितेश की भी परेशानी यही है। वेद भारद्वाज ने दसवीं की परीक्षाएं दी हैं लेकिन कुछ प्रश्न पत्र होने शेष हैं। गिरजा शंकर बताते हैं कि सीबीएसई की हिन्दी के प्रश्न पत्र की कॉपी दो दिन जांची गई, इसके बाद मूल्यांकन बंद हो गया।

माध्यमिक शिक्षा परिषद के पीजीटी योगेश नारायण, शंकर प्रताप सिंह की भी यही समस्या है। दिनेश सिंह स्कूल के प्रधानाचार्य हैं। वह कहते हैं कि भी जान पर बन आई है। कोविड-19 का संक्रमण सामने खड़ा है। मुझे तो लग रहा है कि इस संक्रमण से निबटने तक व्यवस्थापकों के सामने नया संकट खड़ा हो जाएगा।

कब मूल्यांकन, जेईई आदि की परीक्षा होगी? हिंदू कालेज में शिक्षक धनंजय दूबे का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में कट ऑफ और प्रवेश कब शुरू होगा? लगता है, इस बार सब कोविड-19 के नाम ही रहेगा।
पहले बीमारी भागे
पूनम रानी का कहना है कि अभी तो सबके भीतर डर है। पहले कोविड-19 संक्रमण की बीमारी भागे। जुलाई में स्कूल खुलेगा तो बच्चों को पढ़ाकर पाठ्यक्रम पूरा करा लिया जाएगा। हां, 9वीं और 11वीं के छात्र जरूर ज्यादा परेशान होंगे। उनकी परेशानी समझ सकती हूं। गिरजा शंकर यादव का भी यही कहना है।

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